प्रयागराज में महाकुंभ 2025 के दौरान 4 फरवरी से 6 फरवरी तक नौ प्रमुख बौद्ध देशों से आए 500 से अधिक श्रद्वालुओं ने भारत की सनातन परंपरा की वैश्विक स्वीकृति को दर्शाया। यह आयोजन विश्व शांति और मानवता के मूल्यों के प्रसार का प्रतीक बना, जो 'वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को उजागर करता है। भारत की आध्यात्मिक धरोहर और सनातन परंपरा के सबसे बड़े महापर्व 'महाकुंभ' के पावन अवसर पर प्रयागराज में एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज किया गया, जब नौ प्रमुख बौद्ध देशों - भारत सहित थाईलैंड, श्रीलंका, म्यांमार, भूटान, वियतनाम, कंबोडिया, तिब्बत और लाओस, से आए 500 से अधिक बौद्ध श्रद्वालुओं ने महाकुंभ में भाग लिया, तो यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी अधिक गरिमामयी हो गया। भारत-तिब्बत सहयोग मंच, धर्म संस्कृति संगम और हिमालय परिवार जैसी संस्थाओं द्वारा आयोजित इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना संगम तट, जहां भारतीय संस्कृति की विराटता और आध्यात्मिक शक्ति की अद्वितीय झलक देखने को मिली।
महाकुंभ के इस महत्वपूर्ण अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता और इंद्रेश कुमार, जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि ने भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।
इस पुस्तक में उक्त आयोजन के आयोजन के उद्देश्य, दर्शन और उपादेयता पर आलेख हैं जो समग्र भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि को प्रस्तुत करती हैं।